सखि,
न्याय की चाल कितनी धीमी है , यह आज मुझे प्रत्यक्ष अनुभव हुआ । मैं सन 2009 से 2012 की अवधि में जिला रसद अधिकारी , अजमेर के पद पर,पदस्थापित रहा था । इस अवधि में राजस्थान सरकार ने "शुद्ध के लिए युद्ध अभियान" चलाया था जिसमें मिलावट के विरुद्ध एक सघन अभियान द्वारा कठोर कार्रवाई की जानी थी ।
सभी जिलों में एक एक "चल प्रयोगशाला" के लिए मोबाइल वैन उपलब्ध करवाई गई जो मौके पर ही खाद्य पदार्थों की जांच करती थी और मिलावट पाए जाने पर खाद्य अपमिश्रण अधिनियम के अन्तर्गत खाद्य पदार्थ का नमूना लेती थी जिसे FSL (खाद्य प्रतिदर्श प्रयोगशाला ) में भेजा जाता था जिसकी सघन जांच होती थी । नमूना फेल होने पर मजिस्ट्रेट के समक्ष केस प्रस्तुत किया जाता है । केस सही सिद्ध होने पर उस दुकानदार को सजा सुनाई जाती है ।
सखि, बारह साल के बाद में आज मुझे न्यायालय अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश एवं मजिस्ट्रेट, अजमेर में एक मामले में गवाही हेतु बुलाया गया । कोर्ट में जाने और फाइल देखने पर केस कुछ कुछ याद आया ।
दिनांक 13-7-2010 को मैं "शुद्ध के लिए युद्ध अभियान" के तहत गोल प्याऊ, अजमेर पर स्थित दुकान "शंकर चाट भंडार" पर मेरे नेतृत्व में हमारी टीम जांच हेतु पहुंची । इस दुकान का बना हुआ "आम का कलाकंद" बहुत प्रसिद्ध बताया गया । उसी आम के कलाकंद का एक सैम्पल लेकर चल प्रयोगशाला में जांच की गई तो इसमें काम आने वाला रंग अमानक महसूस हुआ । इस आम के कलाकंद का सैम्पल PFA के तहत लिया गया और उसे FSL जांच हेतु भेज दिया गया । वहां पर वह सैंपल फेल हो गया । इससे यह स्पष्ट हो गया कि उस आम के कलाकंद में प्रयोग में लिया जाने वाला रंग सही नहीं था ।
इस रिपोर्ट के बाद दुकान मालिक के खिलाफ एक इस्तगासा न्यायालय अतिरिक्त सिविल जज एवं मजिस्ट्रेट नंबर 1 की अदालत में प्रस्तुत किया गया । खाद्य अपमिश्रण अधिनियम के अन्तर्गत मिलावट को संज्ञेय अपराधों में नहीं रखा गया है इसलिए पुलिस थाने में FIR दर्ज नहीं हो सकती है बल्कि इस्तगासा ही पेश हो सकता है ।
इस इस्तगासा पर आगे कार्यवाही होनी चाहिए अथवा नहीं इसके लिये खाद्य निरीक्षक और गवाहों के बयान होते हैं । इस में मैं भी एक गवाह था इसलिए मेरे भी बयान होने थे । आज उन्हीं बयानों के लिए कोर्ट में हाजिर हुआ था । बारह साल बाद मेरे बयान हुए हैं । पता नहीं अभी और कितना समय लगेगा बयानों में ही । जब सबके बयान हो जाएंगे तब कोर्ट निर्णय करेगा कि केस आगे चलने वाला है या नहीं ? यदि कोर्ट मानता है कि केस आगे चलने लायक है तो आरोपी को आरोप विरचित कर सुनाए जाते हैं । उसके बाद फिर से गवाही शुरू होगी । उभय पक्षों की गवाही होने के बाद फिर बहस होगी और इसके बाद फैसला आयेगा । जिस गति से केस चल रहा है उससे तो लगता है कि अभी तो 20 - 25 साल और लगेंगे फैसला होने में । कितनी तेज चाल है न्यायिक प्रक्रिया की ? है न सखि ?
श्री हरि
25.7.22
Khushbu
27-Jul-2022 07:22 PM
Nice
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Saba Rahman
26-Jul-2022 11:57 PM
Nice
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Khan
26-Jul-2022 11:06 PM
😊😊
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